भूख में बदलाव
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फिलिप्पियों 2:13 क्योंकि परमेश्वर ही है, जिस न अपनी सुइच्छा निमित्त तुम्हारे मन में इच्छा और काम, दोनों बातों के करने का प्रभाव डाला है।
मानो या न मानो, आपके शरीर में एक बारीक- भूख है – आपके मस्तिष्क का वह हिस्सा जो आपको बताता है कि आप कब संतुष्ट हैं और कब खाना बंद करना है। समस्या यह है कि कई लोगों के लिए, यह उन सभी processed खाद्य पदार्थों द्वारा खत्म हो गया है जो हम इन दिनों खा रहे हैं।
हममें से जो मोटापे से ग्रस्त हैं, उनके लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी भूख के लिए उस तरह से काम करें जिस तरह से इसे करना चाहिए । मैं इसके बारे में काफी भावुक हूं –
लेकिन हमारे जीवन में पाप की शक्ति पर विजय पाने के लिए भी यही सच है। आदम और हव्वा से शुरू होकर परमेश्वर ने हमें उसके करीब रहने की इच्छा के साथ बनाया। या या कहें कि हमारे दिलों मे उसके लिए एक भूख पैदा की
लेकिन जब से पाप ने दुनिया में प्रवेश किया तब से उस भूख को गलत दिशा मे अपहरण करके ले जाया गया है -जो आदम और हव्वा के माध्यम से आया जब उन्होंने बगीचे में उस एक पेड़ का फल खाया जो उनके लिए मना था।
क्या आपने कभी गौर किया है कि कुछ दिनों आपकी पाप की भूख कितनी प्रबल हो सकती है? और इसे रोकना कठिन होता है – और जैसे, मोटापे के मामले में, हमें अपनी भूख को ठीक करने की आवश्यकता होती है, ठीक ऐसा ही पाप के साथ भी होता है। हमें पाप के लिए अपनी भूख को, परमेश्वर की इच्छा की भूख मे बदलने की जरूरत है। और वह, ठीक वैसा ही वह चाहता भी है।
फिलिप्पियों 2:13 क्योंकि परमेश्वर ही है, जिस ने अपनी सुइच्छा निमित्त तुम्हारे मन में इच्छा और काम, दोनों बातों के करने का प्रभाव डाला है।
उसके करीब आओ और आप पाओगे कि परमेश्वर आपमे कार्य कर रहा है। वह आपको वह करने में मदद करता है जो उसे अच्छा लगता है। दूसरे शब्दों में, वह आपकी भूख को पाप से दूर कर अपनी भूख में बदलने के व्यवसाय में है। और … वह आपको इसे करने की शक्ति देता है।
यह उसका ताज़ा वचन है। आज .आपके लिए..।