मसीह की शांति
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कुलुस्सियों 3:15 और मसीह की शान्ति जिस के लिये तुम एक देह होकर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो।
पिछले कुछ दिनों से हम शांति के बारे में बातें कर रहे हैं क्योंकि शांति, इस दुनिया की उथल-पुथल के बीच, शायद सबसे उत्तम उपहार है जो हमें परमेश्वर के पास से आता है। लेकिन एक सामान्य गलती है जो हम शांति की बात करते समय करते हैं।
आपको पता है कि यह कैसे होता है। हम जानते हैं कि हम अपने दिलों में शांति चाहते हैं। शायद आपने इसके बारे में प्रवचन भी सुने होंगे। हो सकता है कि आप यीशु के अपने शब्दों को याद करें … अपनी शांति मैं तुम्हें देता हूं, मेरी शांति तुम्हारे साथ रहे ।
हालाँकि यह ज़रूरत के समय में आपके पास आता है, लेकिन शायद केवल एक सिद्धांत के रूप मे की आपको शांति की जरूरत है । परमेश्वर का यही वादा है। उसने हमसे यही वादा किया है !
लेकिन जब आप दबाव में होते हैं, जब आप डरते हैं, जब चिंता आपको खाए जाती है, पूरी रात आप करवटे बदलते रहते हैं तो सिद्धांत पर्याप्त नहीं होता । तो आप खुद सोचिए… मैं शांति से जीना चाहता हूं। और फिर (और हम सभी ने इसे कभी न कभी किया है) हम यह मानने लगते हैं कि यह हम पर निर्भर है कि हम अपनी परेशानियों का सामना करने के लिए उस शांति को प्राप्त करें।
यही गलती हम करते हैं। यही वह दबाव है जिसके तहत हम खुद को रखते हैं। लेकिन जब आपकी शांति की आवश्यकता सबसे अधिक होती है, तो यही वह समय होता है जब यह आपसे दूर लगने लगती है, और इसके लिए एक कारण है।
कुलुस्सियों 3:15 और मसीह की शान्ति जिस के लिये तुम एक देह होकर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो।
इसका कारण यह है कि हम इसका अनुमान नहीं लगा सकते क्योंकि सच्ची शांति कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे हम अपने लिए गढ़ सकें। यह यीशु से आती है।
इसलिए जब आपको शांति की सख्त जरूरत हो, तो दीवार से अपना सिर पीटना बंद कर दें। यीशु के पास आइए , अपनी चिंता उस पर डाल दो और उससे उसकी शांति के लिए प्रार्थना करो।
मसीह की शांति को अपने हृदय में राज करने दो।
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज .आपके लिए.।