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मैं बस यह नहीं कर सकता

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2 तीमुथियुस 4:17,18 परन्तु प्रभु मेरा सहायक रहा, और मुझे सामर्थ दी: ताकि मेरे द्वारा पूरा पूरा प्रचार हो, और सब अन्यजाति सुन ले; और मैं तो सिंह के मुंह से छुड़ाया गया। और प्रभु मुझे हर एक बुरे काम से छुड़ाएगा, और अपने स्वर्गीय राज्य में उद्धार कर के पहुंचाएगा: उसी की महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन॥

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मैं बस यह नहीं कर सकता


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क्या आपको याद है कि पिछली बार जब परमेश्वर ने आपको कुछ ऐसा करने के लिए बुलाया था जिसे आप वास्तव में करना नहीं चाहते थे? आपने कैसी प्रतिक्रिया दी? क्या आप गए और वैसा ही  किया? या आप विपरीत दिशा में भागे?

कभी-कभी, इसका कारण यह है कि हम परमेश्वर की इच्छा पूरी नहीं करना चाहते हैं कि यह असुविधाजनक है। दूसरी बार, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बलिदान बहुत बड़ा होता है। और तीसरा मुख्य कारण कुछ इस प्रकार है।

मैं बस इसे करने में सक्षम नहीं हूं। मैं मुहँ के बल गिर जाऊंगा। यह बहुत दूर है और यह मज़ेदार नहीं है! क्या आप इन बहानों से परिचित है?

हम चीजों को अपने सीमित, प्राकृतिक दृष्टिकोण से देखते हैं, जबकि परमेश्वर उन्हें स्वर्ग की बालकनी से देखता है। वह बड़ी तस्वीर देखता है और अगर एक चीज निश्चित है, तो वो है कुछ भी चीज नहीं है जो उससे परे है। एक भी नहीं । 

बिली ग्राहम ने इस कथन में उस सरल लेकिन अत्यधिक शक्तिशाली सत्य को यूं कहा : परमेश्वर  की इच्छा हमें वहां नहीं ले जाएगी जहां परमेश्वर  की कृपा हमें बनाए नहीं रख सकती। यह एक सच्चाई है जो पहाड़ों जितनी पुरानी है।

यहाँ बताया गया है कि कैसे प्रेरित पौलुस ने इसे अपनी कुछ सबसे बड़ी परीक्षाओं के संदर्भ में व्यक्त किया:

2 तीमुथियुस 4:17,18 परन्तु प्रभु मेरा सहायक रहा, और मुझे सामर्थ दी: ताकि मेरे द्वारा पूरा पूरा प्रचार हो, और सब अन्यजाति सुन ले; और मैं तो सिंह के मुंह से छुड़ाया गया।और प्रभु मुझे हर एक बुरे काम से छुड़ाएगा, और अपने स्वर्गीय राज्य में उद्धार कर के पहुंचाएगा: उसी की महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन॥ 

कोई गलती न करें । परमेश्वर  की इच्छा आपको वहाँ कभी नहीं ले जाएगी जहां परमेश्वर  की कृपा आपको बनाए नहीं रख सकती।

यह उसका ताज़ा वचन है। आज .आपके लिए…आज। 


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